
एक धागा कुछ मोतियों को पिरोता है ।
उनको उनके अक्स में भिगोता है।
लाता है अस्तित्व में उनको
बनता है, सवारता है,
और फिर...
एक धागा कुछ मोतियों को पिरोता है।
जाने क्या चाहता है,
एक खुबसूरत स्वरुप दिखाता है,
मोतियों को समझाता है,
की उनमे क्या है , जानता है।
कुछ पहचानता है।
कुछ पहचान करता है।
तभी तो....
एक धागा मोती को पिरोता है ।
उनको उनके अक्स में भिगोता है।