Sunday, December 26, 2010

"है"


जब कभी हार जाते है।
और हिम्मत नहीं हो पाती उठने की।

तब,

जो अनकहा है कुछ अनछुए शब्दों में पूछता है
क्या
यही तेरा निशां है ?

......और रूह मे बस कर कह जाता है।

तेरी सासों का चलना परिणाम है
कि
.........
तेरा
दूर तलक मक़ाम है।

Saturday, December 18, 2010

"क्योकि कोई खो गया है"





एक दिन था......
जब उन बर्तनों की चमक दिखा करती थी ।
अब उनमे एक धूल की मोटी परत जमा करती है ।

कभी उनमे स्वादों के मेला हुआ करते थे ।

आज उनमे कुछ अजीब से मंजर दिखा करते है ।

कुछ दुसरे ही लोग उनमे घर बुना करते है ।

और हम ....

एक बूंद से उनमे मोती सजा दिया करते है ।