Sunday, December 26, 2010

"है"


जब कभी हार जाते है।
और हिम्मत नहीं हो पाती उठने की।

तब,

जो अनकहा है कुछ अनछुए शब्दों में पूछता है
क्या
यही तेरा निशां है ?

......और रूह मे बस कर कह जाता है।

तेरी सासों का चलना परिणाम है
कि
.........
तेरा
दूर तलक मक़ाम है।

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