सब कहते है वक़्त के साथ घाव भरते जाते है
यहाँ तो साल पे साल बीत गए
पर ये क्या ?
ये घाव बढ़ता ही जा रहा ,
वक़्त इसके लिए घटता ही जा रहा
फूलो की खुशबू इससे मरहम करती ही नहीं,
काँटो की चुभन इससे झटती ही नहीं
वक़्त इसके लिए घटता ही जा रहा
ये घाव बढ़ता ही जा रहा..........
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