मै जानती हूँ ।
वो हमेशा मेरे साथ है ।
परछाईयाँ जब साथ छोड़े
उस समय मेरे साथ है ।
अज्ञात है जो ,
उसके पीछे हम है चलते ।
जो दिखे,
धोखा कहता ।
जो नहीं ,
विश्वास उस पर क्यू है करता ?
चक्र है वो रोशनी का ।
फैले जहा , विश्वास भरता ।
हो अँधेरा जब दिलो मे ,
एक किरण आरब्ध है वो ।
छोड़ तिमिरो के वो साये ,
एक नया प्रकाश है वो ।
कौन जानता है उसे 'यहाँ'
फिर भी रुहों से जुडा है।
'साथ खुद का जब हम छोड़े
देख पीछे वो खड़ा है '
वो हमेशा मेरे साथ है ।
परछाईयाँ जब साथ छोड़े
उस समय मेरे साथ है ।
अज्ञात है जो ,
उसके पीछे हम है चलते ।
जो दिखे,
धोखा कहता ।
जो नहीं ,
विश्वास उस पर क्यू है करता ?
चक्र है वो रोशनी का ।
फैले जहा , विश्वास भरता ।
हो अँधेरा जब दिलो मे ,
एक किरण आरब्ध है वो ।
छोड़ तिमिरो के वो साये ,
एक नया प्रकाश है वो ।
कौन जानता है उसे 'यहाँ'
फिर भी रुहों से जुडा है।
'साथ खुद का जब हम छोड़े
देख पीछे वो खड़ा है '
"साथ खुद का जब हम छोड़े
ReplyDeleteदेख पीछे वो खड़ा है "
lovely poem dear... indepth writing.... n gr8 pic
:)
keep writing.
awesome..grt..glorious..marvelous..these are the few small words for ur dis poem..faadu..ek dum jhakkas...:)
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