Wednesday, May 12, 2010

मेरे लिए .........माँ



मेरे लिए
एक ख्वाब का आगाज हो तुम ।
दुनिया जो सरगम गाती है,
उन सब का बंधा हुआ एक साज हो तुम

आँखों को खोला है तुमने ,
मेरे जिस्म मे जान हो तुम ।
देके जो तुम चली गयी हो
वो जीवन वरदान हो तुम

सासों ने जब तुमसे खेला
हमको तब खेल खिलाया था ।
जीवन की राहो मे चलना
तुमने ही तो सिखलाया था ।

आंधी को बद्लेगे कैसे
सुरख हवा के झोखो मे
बड़ी आसानी से हमको
तुमने
ये बतलाया था।

मैं तो थी एक कोमल लतिका
सीची गयी जब तेरे नीर से
तब बनी हू मै एक कृतिका

अभी थोडा ही तो समय हुआ था
जब मैंने ये सब जाना था
आई ही क्यू आगोश मे तेरे
यू छोड़ के जो तूने जाना था ।

देख के अपने अक्स को तुझमे
तब
तो खुद को पहचाना था
अब तू मुझको ये बतलादे
यू छोड़ के क्यू तुझे जाना था ।

अब जब तुने छोड़ दिया है
साया भी क्या साथ चलेगा ?
फिर सोचा साये का क्या है
तू
तो हम साया बन रूह बसेगा

4 comments:

  1. your this poem is above than my praise...what to say...bahut hi pyara..and very good selection of photograph too..hope to get plenty of like this..:)

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  2. Wow...this should be included in CBSE.
    I love this.
    Beautiful

    You're a very talented person

    keep it up

    take care

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  3. sabab gesuon ki achi nahi hoti,
    ye hawa mausami sabke liye achi nahi hoti.
    Aur kabhi maa k aage khul kr mat rona mere dost,
    kyunki jaha buniyad ho vahan itni nami achi nahi hoti.
    Bohat kam log maa k liye kuch khas likh paate hain.
    Aap unme se ek ho.
    bohat pyara hai........

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